एक महीने का शिशु : विकास, बदलाव, देखभाल और ध्यान देने योग्य बातें | नवजात शिशु (0–1 महीना) की गतिविधियां, विकास और देखभाल

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9 min readMar 28, 2022

एक महीने का शिशु : विकास, बदलाव, देखभाल और ध्यान देने योग्य बातें | नवजात शिशु (0–1 महीना) की गतिविधियां, विकास और देखभाल — हर शिशु नौ महीने गर्भ में बिताने के बाद इस दुनिया में आता है, जन्म के बाद उसे इस नई दुनिया में खुद को ढालने में थोड़ा वक़्त लगता है।

शिशु के जन्म के बाद नए माता-पिता को अक्सर ये चिंता सताती है की अपने नवजात शिशु की देखभाल कैसे करें (new born baby care tips in Hindi), आज के इस लेख में मैं आपको नवजात शिशु (0–1 महीना) की गतिविधियां, विकास और देखभाल तथा उसकी सेहत और गतिविधियों से जुड़ी कुछ ध्यान रखने वाली बातों के बारे में बताउंगी।

1 महीने के शिशु का विकास कितना होता है, नवजात शिशु की आवश्यकताएं क्या होती हैं, प्रसव के बाद नवजात शिशु की देखभाल कैसे की जाये, नवजात शिशु को कब दिखने लगता है, नवजात शिशु का प्रारंभिक आहार क्या होता है, नवजात शिशु की देखभाल करते समय किन किन बातों का ध्यान रखना चाहिए इत्यादि जैसे कई सवालों के जवाब आपको आज के इस लेख में मिलेंगे इसलिए आप भी इन सवालों के जवाब चाहते हैं तो अंत तक इसे जरूर पढ़ें।

गर्भ में शिशु जिस अवस्था में होता है, जन्म लेने के बाद भी वह उसी अवस्था में लगभग दो से तीन महीने तक रहता है। उसे अपने हाथ और पैरों का इस्तेमाल नहीं पता होता। लेकिन जैसे जैसे शिशु बड़े होते हैं वो अपने हाथ और पैरों का इस्तेमाल करना सिख जाते हैं। इस नई दुनिया में खुद को ढालते हुए आपके नन्हे शिशु के शरीर में कुछ बदलाव देखने को मिलेंगे।

जहां पहले शिशु को गर्भ में रहने की आदत थी, वहीं अब उसे बाहरी दुनिया भी अच्छी लगने लगी है। आज के ब्लॉग में हम आपको बता रहे हैं कि एक महीने का शिशु कितना विकास करता है और उसमे क्या क्या बदलाव आते है।

जन्म के बाद पहले कुछ हफ्तों तक शिशु अपने हाथ को अपने मुँह तक नहीं ले जा सकता। लेकिन जैसे-जैसे शिशु एक महीने का होता है, उसके हाथ मुँह को छूने लगते हैं। इसके अलावा बच्चे के विकास के और भी कई संकेत मिलने लगते हैं। आपका शिशु अभी सिर्फ थोड़ा रोएगा, दिन से ले के रात तक गहरे हरे रंग का मल त्याग करेगा, दूध पियेगा, पेशाब करेगा और बहुत ज्यादा सोएगा।

मैंने किसी से सुना है की शिशु के जन्म के बाद तीन महीने तक शिशु को बस काले और सफ़ेद रंग का पता होता है। तीन महीने पुरे होने के बाद ही शिशु बाकि रंगो को पहचानना और उन पर प्रतिक्रिया देना शुरू करता है।

एक महीने का शिशु : विकास, बदलाव, देखभाल और ध्यान देने योग्य बातें | नवजात शिशु (0–1 महीना) की गतिविधियां, विकास और देखभाल

एक महीने का शिशु बहुत छोटा होता है लेकिन फिर भी जन्म से लेकर अब तक उसके शरीर और विकास में कई बदलाव आ चुके होते हैं। इसके आधार पर आप यह समझ सकते हैं कि बच्चे का विकास सही हो रहा है या नहीं।जन्म से ले के अगले छह महीने तक शिशु को सिर्फ स्तनपान की जरुरत होती है इसके अलावा कुछ नहीं।

एक महीने का शिशु अपने हाथों को आंखों और मुंह के नजदीक लाने लगता है। वो पेट के बल लेटने पर अपनी गर्दन को घुमा सकता है। शिशु के सिर को अभी भी सहारे की जरुरत है क्यूंकि अभी उसकी गर्दन की हड्डी का विकास हो रहा है।

अगर उसकी गर्दन को सहारा ना मिला तो हो सकता है वह कुछ पलों के लिए अपना सिर उठा सके या फिर वो अपना सिर पीछे की तरफ झुका सकता है। एक महीने का शिशु मुट्ठी बंद कर सकता है। इतना बड़ा शिशु मां के दूध की खुशबू को पहचान सकता है। उसे नरम और खुरदरी चीजों की पहचान होने लगती है। शिशु को नरम और मुलायम चीजें और मीठी खुशबू पसंद आती हैं।

आपका शिशु अब अपनी भावनाओं को ज्यादा अभिव्यक्त करने लगेगा। आपको देखने पर वह प्यार भरी धीमी-धीमी आवाज निकालना शुरु कर सकता है। शिशु के इन प्रयासों पर अपनी प्रतिक्रिया देना न भूलें, अपने शिशु से बातचीत करने के उसके उभरते कौशल को बढ़ावा दें।

शिशु के देखने और सुनने की क्षमता

एक महीने के शिशु की देखने और सुनने की क्षमता में आपको कुछ बदलाव दिखने शुरू हो सकते हैं, जैसे कि :

* जिस तरफ से आवाज आ रही है, बच्चा उस तरफ अपना सिर घुमा सकता है।

* शिशु अपने माता — पिता की आवाज काे पहचानने लगता है।

* आपके ताली बजाने पर बच्चा पलकें झपकाने लगता है।

* संगीत और कवितायेँ सुन कर अलग अलग तरह की प्रतिक्रिया कर सकता है।

* उसे काले और सफेद रंग के बीच फर्क पता चलता है।

* शिशु 12 मीटर की दूरी तक रखी चीजों पर ध्यान केंद्रित कर सकता है।

शिशु की ज्ञानेन्द्रियों का विकास

एक महीने का शिशु अपने आसपास के वातावरण के प्रति अधिक जागरुक हो रहा होता है। उसकी दृष्टि और सुनने की क्षमता बेहतर हो रही होती है, इसलिए वह अपने आसपास होने वाली गतिविधियों पर अधिक ध्यान देने लगता है।

वह आपकी आवाज सुनकर या कोई संगीत सुनकर और आपका चेहरा देखकर बहुत खुश होगा। पर अचानक से हुई किसी आवाज पर वह चौंक भी सकता है।

शिशु अपना सिर कब ऊपर उठाने लगेगा

अभी जब भी आप शिशु को गोद में लें तो आपको उसके सिर को पर्याप्त सहारा देना होगा, लेकिन उसकी गर्दन की मांसपेशियां अब मजबूत हो रही हैं। इसका मतलब यह है कि पीठ के बल लेटने या गोद में सीधे पकड़ने पर शायद शिशु कुछ पल के लिए अपना सिर ऊपर उठा ले। यहाँ तक कि वह अपने सिर को एक तरफ से दूसरी तरफ घुमा भी सकता है।

शिशु का पेट के बल लेटना उसकी विकसित हो रही मांसपेशियों के लिए बहुत अच्छा है। वैसे तो जन्म के 3 से 4 महीने बाद से ही शिशु पेट के बल लेटना शुरू कर देगा और अगर शिशु ऐसा नहीं करता तो आप 3 महीने बाद कभी भी अपने शिशु को पेट के बल लिटाना शुरू कर सकते है।

शिशु चीजों को पकड़ना और उन्हें थामे रखना कब शुरु करता है

नवजात शिशु को अब धीरे धीरे यह अहसास हो रहा है कि उसकी बाजू और टांगें भी उसके शरीर के ही अंग हैं। अभी उसे यह सब मालूम करने में थोड़ा समय और लगेगा कि वह अपनी बाजुओं और टांगों से क्या-क्या कर सकता है।

जब आप शिशु की हथेली को छुएंगी, तो वह अपनी छोटी-छोटी उंगलियो से आपकी उंगली को पकड़ सकता है। यह उस क्षण उसकी स्वाभाविक और स्वत: होने वाली प्रतिक्रिया है। पकड़ने की यह प्रवृत्ति शिशु के जन्मोपरांत पहले आठ सप्ताह तक अधिक प्रबल रहती है। जैसे-जैसे शिशु बड़ा होता जाता है, आप पाएंगी कि उसने समय-समय पर अपना हाथ खोलना शुरु कर दिया है।

आप शिशु के साथ कोई खेल भी खेल सकती हैं, जो उसे अपने शरीर को जानने में मदद करें। जैसे आप उसकी बाजुओं को उसके सिर से उपर उठाएं और पूछें कि शिशु कितना बड़ा है या फिर उसके पैरों की उँगलियाँ गिनते हुए कोई गाना गायें या फिर शरीर के अलग-अलग अंगों के नाम लेते हुए आप उसके हाथों, पैरों और पेट पर गुदगुदी भी कर सकती हैं।

शिशु में खुद को अभिव्यक्त करने का तरीका कैसे विकसित होगा

आपका एक महीने का शिशु अब अधिक सक्रिय और मिलनसार हो रहा है। अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए वह कोई आवाज निकालेगा या फिर गुं गुं जैसे स्वर निकाल सकता है।

आपका शिशु अब कुछ शुरुआती किलाकारियां भरना भी शुरु कर सकता है। अगर, आप कोई काम कर रही हैं, तो उस काम को करने के साथ साथ आप दूर से भी शिशु से बातें करें या उसके लिए गाना गाएं। शिशु उस दूर से आ रही आपकी आवाज को सुनकर बेहद खुश होगा।

आपका शिशु जन्म के कुछ दिनों बाद से अपने माँ — बाप को पहचानना शुरु कर देता है और पहले महीने के अंत तक वह यह बात जता भी देता है। शिशु अपने माँ और पिता के साथ अलग तरीके की प्रतिक्रिया देते हैं, जबकि अनजान व्यक्तियों के साथ उनकी प्रतिक्रिया वैसी नहीं होती। आपका शिशु आपको देखकर शांत हो सकता है और आपके साथ नजरों से नजरें मिला सकता है।

एक महीने का शिशु कितनी अच्छी तरह देख सकता है

आपका शिशु दोनों आंखों से ध्यान केंद्रित करना सीख गया है, इसलिए अब वह किसी चलती हुई चीज पर अपनी नजरें बनाए रख सकता है। उसके चेहरे के सामने से कोई खिलौना फिराने पर उसका ध्यान उस पर जरुर आकर्षित होगा।

जब मेरा बच्चा 5 दिन का का ही था तभी अगर उसे टीवी के सामने ले जाओ तो इतने ध्यान से देखता था मनो सब समझ आ रहा है उसे। टीवी में चल रहे हलचल और संगीत उसे आकर्षित कर रही थी।

शिशु के साथ नजरों से नजरें मिलाने वाला खेल भी खेला जा सकता है। आप अपने चेहरे को शिशु के चेहरे के एकदम नजदीक लाएं और धीरे-धीरे अपना सिर एक तरफ से दूसरी तरफ घुमाएं। हो सकता है शिशु आपकी आंखों में आंखे मिलाने में सफल रहे।

वैसे आजकल दुकानों में नवजात शिशु के विकास को बढ़ावा देने वाले अलग-अलग रंगों और बनावट वाले खिलौने भरे पड़े हैं, मगर रोजमर्रा का घरेलू सामान भी शिशु के लिए खिलौने के तौर पर बढ़िया काम कर सकता है।

हर शिशु अलग होता है और उनकी शारीरिक क्षमताएं भी अपनी अलग अलग गति से विकसित होती है। अगर शिशु का जन्म समय से पहले यानि गर्भावस्था के 37 सप्ताह से पहले हुआ है, तो आप देखेंगे कि उसे वही सब चीजें करने में ज्यादा समय लग सकता है, जो समय से जन्में बच्चे जल्दी करते हैं।

इसलिए अगर शिशु प्रीमैच्योर है तोह शिशु के विकास को उसकी समायोजित उम्र से देखें, ना की उसके जन्म की वास्तविक तिथि से।
अगर आपके मन में अपने शिशु के विकास के संबंध में कोई प्रश्न हैं, तो अपने चिकित्सक से सलाह करें।

अगर एक महीने का शिशु अपनी उम्र के हिसाब से निम्न कार्य नहीं कर पा रहा है, तो आपको उसे चिकित्सक के पास ले जाना चाहिए:

* माता — पिता को देखकर कोई प्रतिक्रिया ना देना

* स्तनपान के समय स्तनों को ठीक तरह से न चूस पाना

* नजदीक की चीजों को ना देख पाना

* निचले जबड़े का लगातार कांपना

* तेज़ और अलग-अलग आवाजों पर कोई प्रतिक्रिया ना देना

* हाथ-पैरों का ढीला पड़ना

शिशु की मालिश दिन में कम से कम चार बार करें। शिशु को पार्क, म्यूजियम और रंग-बिरंगी जगहों पर लेकर जाएं। उसे अलग-अलग चीजें दिखाएं, अलग-अलग तरह की आवाजें सुनाएं।

आपका शिशु कब थकान महसूस कर रहा है, उसे कब आराम करने की जरूरत है, उसे कब भूख लगी है, कब सोना है, वो चिड़चिड़ा होने किस तरह के संकेत देता है, इनके प्रति आप सतर्क रहें। शिशु से बात करें, संगीत और कहानियां सुनाएं।

शिशु बहुत छोटे और नाजुक होते हैं, कभी कभी नवजात शिशु को सांस लेने में दिक्कत भी होती है। तो अगर नवजात शिशु को शर्दी जुकाम, बुखार या कुछ भी आपको थोड़ा सा भी गड़बड़ लगे तो तुतंत उन्हें डॉक्टर को जरूर दिखाएं।

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Originally published at https://youthinfohindi.com on March 28, 2022.

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